(एजेन्सी) देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सीमांत गांव माणा के पास ऊंचाई वाले क्षेत्र में शुक्रवार को हिमस्खलन के कारण बर्फ में 57 मजदूर दब गए। सूबे के उंचाई वाले क्षेत्रों में हो रही भारी बर्फबारी के बीच फंसे सीमा सड़क संगठन के लिए काम कर रहे इन 57 मजदूरों में से खबर लिखे जाने तक 33 को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, माणा और बद्रीनाथ के बीच में स्थित बीआरओ के मजदूरों के कैंप पर करीब 07:15 बजे हिमस्खलन हुआ था जिससे मजदूर बर्फ में दब गए थे। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस, सेना, सीमा सड़क संगठन, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे तथा बचाव और राहत कार्य शुरू किया। उत्तराखंड सरकार ने बताया कि अब तक 33 मजदूरों को रेस्क्यू किया जा चुका है। बता दें कि खराब मौसम और लगातार बर्फवारी के कारण मौके पर बचाव एवं राहत कार्य चलाने में मुश्किलें आ रही हैं। हालांकि, घटना में अभी किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। घटना में फंसे सभी मजदूरों के नाम भी सामने आ गए हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके बर्फ के तले दबे हुए मजदूरों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, जोशीमठ (उत्तराखंड) के माणा क्षेत्र में एक दुर्भाग्यपूर्ण हिमस्खलन हुआ, जिससे बीआरओ का जीआरईएफ (जनरल रिजर्व इंजीनियरिंग फोर्स) शिविर प्रभावित हुआ है। मौजूदा स्थिति के बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की। प्रशासन प्रभावितों को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि सेना की स्थानीय इकाइयों द्वारा भी बचाव प्रयास जारी हैं। चमोली के जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने बताया कि सुबह जब माणा और माणा दर्रे के बीच हिमस्खलन हुआ, तब 57 मजदूर शिविर में थे। बता दें कि बद्रीनाथ से करीब 3 किलोमीटर दूर माणा भारत तिब्बत सीमा पर बसा आखिरी गांव है जो 3200 मीटर की उंचाई पर स्थित है।