एसबी विशेष संवाददाता/मदन पुरी
करनाल। उपायुक्त उत्तम सिंह ने कहा कि नशा समाज के लिए एक गंभीर समस्या है। जिला में नशे की प्रवृत्ति को रोकने के लिए स्कूल व कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है इसके साथ-साथ ड्रग केमिस्ट की दुकानों पर भी प्रशासन की पैनी नजर है। इसके अतिरिक्त शिक्षण संस्थाओं के अध्यापक व प्रोफेसर नशे से ग्रसित विद्यार्थियों की पहचान करेंगे और नशा ग्रस्त पाए जाने वाले विद्यार्थियों को परामर्श देना सुनिश्चित करेंगे तथा बच्चों की पहचान गोपनीय रखी जाए।
उपायुक्त उत्तम सिंह शुक्रवार को लघु सचिवालय के सभागार में जिला स्तरीय एनकॉर्ड की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नशा जैसी सामाजिक बुराई से छुटकारा पाने के लिए सभी का समन्वय आवश्यक है। इसलिए सभी विभाग नशे की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाए व जिन युवाओं को नशे की लत लग चुकी है, उन्हें नशा छुड़वाने के लिए जागरूक करें ताकि नशा मुक्त समाज का निर्माण हो सके। उन्होंने स्पष्ट किया किया कि जागरूकता कार्यक्रम के धरातल पर परिणाम नजर आने चाहिए। उन्होंने पुलिस विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों के नजदीक दुकानों, क्लबों और आहातों में जांच की जाए और नशा पाए जाने पर उनके खिलाफ उचित कार्यवाही की जाए।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि नशा-मुक्ति कार्यक्रमों व जागरूकता अभियानों में ग्राम पंचायतों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए और जागरूकता कार्यक्रम निरंतर जारी रखें। बैठक में उपायुक्त ने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि धाकड़ कार्यक्रम के तहत जिले में संचालित सभी शैक्षणिक संस्थानों में नशे की रोकथाम के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजन किया जाए और स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के समय समय पर बैग चेक किए जाएं।
अगर किसी बच्चे के पास कोई नशीला पदार्थ पाया जाता है तो इसकी सूचना उसके माता-पिता को दें व उस बच्चे को उचित काउंसलिंग दिलवाई जाए। उन्होंने कहा कि स्कूल व कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी लगातार गैर-हाजिर रहते है तब ऐसे बच्चों पर शिक्षक कड़ी नजर रखें और इसकी सूचना उनके अभिभावकों को भी दें।