(एजेन्सी), अमेरिका। अमेरिका का ट्रंप प्रशासन लगातार कई देशों को टारगेट कर रहा है। अब उसने ईरानी कच्चे तेल को लेकर एक ऐसा एक्शन लिया है, जिसमें उसने भारत को निशाना बनाया है और ये जानकारी अमेरिका के ट्रेजर विभागसे सामने आई है और जानकारी दी गई है कि प्रति वर्ष लाखों बैरल कच्चा तेल चीन भेजने में मदद करने वाले व्यक्तियों और टैंकरों पर नए प्रतिबंध लगाए गए हैं। ये कदम ऐसे वक्त में उठाए गए हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के तेल निर्यात को शून्य करने की कसम खाई थी। देश को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने के लिए ये प्रयास किया जा रहा है। मानना ये है कि ईरान लगातार इन पैसों के जरिए अपने मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है। अमेरिका की ट्रेजरी विभाग ने कहा है कि तेल ईरान के सशस्त्र बल, जनरल स्टाफ और अग्रणी कंपनी की ओर से भेजा गया था। जिसे अमेरिका ने 2023 के अंत में प्रतिबंधित कर दिया था। ये प्रतिबंध भारत, चीन, संयुक्त अरब अमीरात के साथ साथ कई जहाजों सहित अधिकार क्षेत्र क लक्षित करता है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि उसने पनामा ध्वज वाले सीएच बिलियन टैंकर और हांगकांग ध्वज स्टार फारेस्टि टैंकर पर ईरानी तेल को चीन भेजने में उनकी भूमिका के लिए प्रतिबंध लगाया है।
एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए अमेरिकी सरकार को तेहरान पर अधिकतम दबाव डालने का आदेश देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संवाददाताओं से कहा कि “हम देखेंगे कि हम ईरान के साथ समझौते की व्यवस्था कर सकते हैं या नहीं। हम ईरान पर सख्त नहीं होना चाहते। ट्रंप ने कहा, हम किसी के प्रति सख्त नहीं होना चाहते। लेकिन उनके पास परमाणु बम हो ही नहीं सकता। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अपने सलाहकारों को निर्देश दिया है कि अगर ईरान उनकी हत्या करता है तो उसे मिटा दिया जाए। ईरानी अधिकारी संकेत देते दिखे कि वे ट्रंप के संदेश का इंतजार कर रहे हैं कि क्या वह तेहरान के तेजी से आगे बढ़ रहे परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत करना चाहते हैं।
2015 में घरेलू तेल के निर्यात पर 40 साल के संघीय प्रतिबंध को हटाने के बाद से अमेरिका सऊदी अरब और रूस के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है। जबकि अमेरिकी कच्चे तेल के निर्यात में 2024 में केवल थोड़ी वृद्धि हुई थी, आखिरी बार वे 2021 में गिरे थे, जब सीओवीआईडी-19 के प्रकोप ने वैश्विक ऊर्जा मांग को कम कर दिया था।