संजना भारती/विज्ञप्ति द्वारा
नई दिल्ली। भारत का महत्वाकांक्षी 100-दिवसीय टीबी अभियान, जो 7 दिसंबर 2024 को शुरू हुआ था, 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 347 जिलों में क्षय रोग (टीबी) से लड़ने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। एक्स-रे जांच को प्राथमिक नैदानिक उपकरण के रूप में अपनाकर, दिल्ली इस पहल में अग्रणी भूमिका निभा रही है, जिसमें संवेदनशील आबादी के 59% लोगों की स्क्रीनिंग पूरी हो चुकी है।
यह अभियान उच्च जोखिम वाले समूहों पर केंद्रित है, जिनमें 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, मधुमेह रोगी, धूम्रपान करने वाले, शराब पीने वाले, कुपोषित लोग, पिछले वर्षों में टीबी से ठीक हुए मरीज, टीबी रोगियों के संपर्क में आए लोग, एचआईवी से पीड़ित लोग, झुग्गी बस्तियों में रहने वाले व्यक्ति और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग शामिल हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बिना लक्षण वाले टीबी मामलों का शीघ्र पता लगाना, शीघ्र उपचार सुनिश्चित करना और समुदाय में रोग के प्रसार को रोकना है। यह अभियान सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य क्षेत्रों को एकीकृत करने में सफल रहा है, जिससे प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हुआ है। इस प्रयास का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर गुप्त टीबी संक्रमण की पहचान करना है, जिसे पहले नजरअंदाज कर दिया जाता था। अब इसे CyTB जैसी नवीन परीक्षण विधियों के माध्यम से पहचाना जा रहा है, जिसे राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में शामिल किया गया है। जो लोग गुप्त टीबी संक्रमण से पीड़ित पाए जाते हैं, उन्हें निशुल्क निवारक चिकित्सा प्रदान की जाती है, जिसमें तीन महीने तक प्रति सप्ताह एक बार एक निश्चित खुराक संयोजन दवा दी जाती है।
इसके अलावा, यह अभियान भारत सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली नि:शुल्क टीबी परीक्षण और उपचार योजनाओं, जैसे कि नि-क्षय पोषण योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाता है, जो उपचार के दौरान रोगियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। टीबी को चिकित्सकीय और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से एक चुनौती के रूप में मान्यता देते हुए, यह अभियान जनभागीदारी की मांग करता है ताकि इस बीमारी से जुड़े कलंक को दूर किया जा सके। शिक्षण संस्थान, कॉपोर्रेट संस्थान और सरकारी संगठन इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।