संजना भारती संवाददाता
मोतिहारी। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी 24 अप्रैल दिन बृहस्पतिवार को निरंकारी संतो द्वारा पूरे विश्व में अलग-अलग जगहों पर मानव एकता दिवस मनाया गया। मोतिहारी, चकिया और ढेकहाँ के संतों ने भी इस बार एक साथ मिलकर ढ़ेकहाँ के मठ बाजार के प्रांगण में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें लोगों का सेवा भाव का ध्यान रखते हुए शर्बत और लंगर का भी व्यवस्था किया गया। मानव एकता दिवस सतगुरु बाबा गुरबचन सिंह महाराज को समर्पित के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने अपने जीवनकाल में अमूल्य मूल्यों और शिक्षाओं का उदाहरण दिया, जिन्हें हम सभी को अपनाना चाहिए। निश्चित रूप से यह समझना हमारे लिए अकल्पनीय है कि कैसे उस कठिन समय में जब साधन इतने सीमित थे, बाबा जी ने पूज्य राजमाता जी के साथ मिलकर शाश्वत सत्य का संदेश फैलाने के लिए पूरी दुनिया में अथक यात्रा की। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस दिव्य ज्ञान को हर घर तक पहुँचाने के लिए चिंतन करें और फिर आवश्यक कदम उठाएँ।
24 अप्रैल का दिन बलिदान का दिन है क्योंकि सतगुरु बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज और चाचा प्रताप सिंह जी ने इसी दिन मानवता की खातिर अपने प्राणों की आहुति दी थी। इसी तरह समय-समय पर मिशन में कई संतों ने भी ऐसे बलिदान दिए हैं। मानव एकता शब्द से यह स्पष्ट होता है कि मानवता में सह-अस्तित्व होना चाहिए और दुनिया में एकता होनी चाहिए। एकता का अर्थ केवल एकरूपता नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है व्यक्तियों के बीच सद्भाव और एकमत बनाए रखना।
कार्यक्रम का अध्यक्षता कर रहे मोतिहारी ब्रांच के मुखी महात्मा गणेश ने बताया कि जिन महापुरुषों ने अपने जीवन मे त्याग और बलिदान दिया है दुनिया उन्ही को हमेशा याद किया है और ऐसे महापुरुषों से हमें बहुत कुछ सिखने की जरुरत है। कार्यक्रम को सफल बनाने में अधिकारी महात्मा ललन सोनी सहित समस्त साधसंगत का विशेष योगदान रहा।