संजना भारती संवाददाता
चंडीगढ़। जर्मनी के पोपे+पोटहॉफ जीएमबीएच के समूह सीईओ श्री मार्कस केरखॉफ के नेतृत्व में एक जर्मन प्रतिनिधिमंडल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की और उन्हें झज्जर जिले में अपने आटोमोबाइल घटक विनिर्माण संयंत्र की प्रगति से अवगत कराया। प्रतिनिधिमंडल में पोपे+पोथोफ के बिक्री प्रमुख श्री थॉर्स्टन एलर्सिएक के साथ-साथ इस संयुक्त उद्यम में भारतीय भागीदार लालबाबा इंजीनियरिंग लिमिटेड के प्रतिनिधि भी शामिल थे।
बैठक के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने राज्य की उद्योग-अनुकूल नीतियों और सरकार से सक्रिय समर्थन का उल्लेख करते हुए हरियाणा में अपने निवेश के विस्तार में गहरी रुचि व्यक्त की। पोपे+पोटहॉफ कंपनी, जिसकी उपस्थिति 70-80 देशों में है, हरियाणा में एक नई अनुसंधान एवं विकास सुविधा की स्थापना की संभावना भी तलाश रही है। साथ ही, वैश्विक और घरेलू दोनों आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य से कुशल मैनपावर को नियोजित करने के लिए एक संरचित प्रणाली बनाने की योजना भी बना रही है।
मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार विश्व स्तरीय कौशल विकास पहलों के माध्यम से अपने युवाओं को सशक्त बना रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश द्वारा अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों को वैश्विक उद्योग मानकों के साथ सक्रिय रूप से जोड़ा जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कार्यबल नवीनतम तकनीकी ज्ञान और व्यावहारिक विशेषज्ञता से लैस हो। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से आग्रह करते हुए कहा कि हरियाणा के प्रतिभाशाली युवाओं की अपार क्षमता को पहचान कर उन्हें सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में कार्य करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों, खासकर तकनीकी संस्थानों के बीच मजबूत साझेदारी बनाने का पूरा समर्थन कर रही है और एक ऐसी प्रणाली बनाने में मदद कर रही है जो युवाओं को स्थानीय और वैश्विक नौकरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित करे।
बैठक में जानकारी दी गई कि पोपे+पोटहॉफ जीएमबीएच, जर्मनी और लालबाबा के बीच सहयोग भारत की विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने, आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देने और प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया पहल के तहत आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में एक ऐतिहासिक कदम है।
झज्जर में नई संयुक्त उद्यम सुविधा टिकाऊ, भविष्य के लिए तैयार विनिर्माण के लिए एक साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। शून्य-निर्वहन संयंत्र के रूप में संकल्पित, यह सुविधा भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 40 प्रतिशत सौर ऊर्जा से प्राप्त करेगी।
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