एसबी विशेष संवाददाता/मदन पुरी
करनाल। भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा आयोजित किए गए तीन दिवसीय राष्ट्रीय डेरी मेला एवं एग्री एक्सपो 2025 का शनिवार समापन हो गया। इसकी जानकारी देते हुए एनडीआरआई के निदेशक एवं कुलपति, डॉ धीर सिंह ने बताया कि इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय डेरी मेला में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तर पूर्व के राज्यों, उत्तर प्रदेश के 40000 से अधिक किसानों, पशुपालकों एवं पशु प्रेमियों ने हिस्सा लिया। अपने सम्बोधन में उन्होंने बताया कि इस प्रकार के मेला का मुख्य उद्देश्य किसानों एवं पशुपालकों को एक ही स्थान पर डेरी विज्ञान के विकसित प्रौद्योगिकियों एवं तकनीकों से अवगत कराना होता है। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि ‘अमूल’ की तर्ज पर उन्हें सहकारी समितियों का गठन करना चाहिए।
डॉ सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि दुग्ध उत्पादन के 2030 के लक्ष्य को अभी ही प्राप्त कर लिया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सन 2040 कके 600 मिलियन टन के लक्ष्य को भी प्राप्त कर लिया जाएगा, ऐसा उनको पूर्ण भरोसा है। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय डेरी मेला में 150 से अधिक स्टाल लगाए गए जिनमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 17 और निजी कंपनियों के 44 स्टॉल भी थे। उन्होंने अपने सम्बोधन के अंत में बताया कि झंझारी गाँव की एक गाय ने एक दिन में 87.7 लीटर दूध दिया जबकि एक मुररा भैंस ने 28 लीटर दूध दिया।
राष्ट्रीय डेरी मेला के समापन समारोह कार्यक्रम के अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के अनुसंधान सलाहकार समिति के अध्यक्ष एवं संस्थान के पूर्व निदेशक, डॉ नगेन्द्र शर्मा ने कहा कि दूध भारत की ग्रामीण सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न यंग है। उन्होंने मंथन फिल्म का उद्धरण करते हुए ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की ओर उपस्थित कृषकों एवं पशुपालकों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने भाकृअनुप-राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान की प्रशंसा करते हुए बताया कि इस प्रतिष्ठित संस्थान ने डेरी विज्ञान के बुनियादी एवं अग्रिम क्षेत्रों में अनुसंधान के कार्य द्वारा दुग्ध उत्पादन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में अनेक क्रांतिकारी कार्य किए हैं। अपने सम्बोधन के अंत में उन्होंने आशा व्यक्त की कि यहाँ आए हजारों किसानों एवं पशुपालकों ने काफी ज्ञानार्जन किया होगा।
समापन समारोह कार्यक्रम के सुअवसर पर अपने सम्बोधन में महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, करनाल के कुलपति डॉ सुरेश कुमार मल्होत्रा ने कृषि विविधीकरण पर चर्चा करते हुए बताया कि खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा के बाद अब किसानों की आय सुरक्षा पर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने पर्यावरण में हो रहे बदलाव के मद्देनजर भी अनुसंधान पर कार्य करें पर बल दिया।
इस अवसर पर आईसीएआर के जीबी के सदस्य पद्मश्री श्री कँवल सिंह ने अपने उद्बोधन में किसानों एवं पशुपालकों से अपेक्षा की कि राष्ट्रीय डेरी मेला में आए किसान यहाँ प्राप्त जानकारियों को अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में फैलाएंगे।
कार्यक्रम के दौरान डॉ राजन शर्मा, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) ने राष्ट्रीय डेरी मेला का संक्षिप्त रिपोर्ट पढ़ते हुए बताया कि मेला के दौरान किसानोपयोगी अनेक गोष्ठियों का आयोजन किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय मेला के दौरान 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर स्कूल के बच्चों के लिए क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने पशुधन बीमा और स्टार्टअप्पस विषयों पर आयोजित की गई गोष्ठियों की भी जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर बोर्ड आॅफ मैनेजमेंट के सदस्य श्री तेग सिंह राणा, रौनक सिंह, राम सिंह, आयोजन सचिव डॉ गोपाल सानखला भी उपस्थित थे।
राष्ट्रीय डेरी मेला के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को एनडीआरआई के निदेशक एवं कुलपति, डॉ धीर सिंह एवं अन्य विशिष्ठ अतिथियों ने पुरस्कार दिए।