एसबी संवाददाता
वाराणसी। अन्नपूर्णा मंदिर में नौ दिवसीय महानुष्ठान के सातवे दिन मंदिर परिषर में महानुष्ठान प्रात: सात बजे से प्रतिष्ठांग हवन, शुभ मुहूर्त में देवता मूर्तिप्रतिष्ठा, कुम्भाभिषेक, अर्चन, महानीराजन, पूणार्हुति प्रसाद शिखर कुम्भाभिषेक सम्पन्न हुआ।
कुम्भाभिषेक समारोह में श्रृंगेरी जगद्गुरु श्री विधु शेखर भारती महास्वामी महाराज को मंदिर महंत व श्री महंत ने किया फिर अनुष्ठान स्थल तक गये, उस दौरान चारों वेदो की शुभ करकमलों से दिव्य ऋचाओ व के नाद स्वर की मधुर ध्वनि के बीच शकराचार्य पाठ के बीच सर्वप्रथम मंदिर में स्थापित गणेश विग्रह की पूजा की। गणेशजीको विशेष अर्घ्य समर्पित करने के पश्चात मदिर गर्भगृह का अनावरण किया। माता की नव प्रतिमा को देखकर भक्तों ने जयघोष किया। माजा का श्रीसूक्त, दुर्गा सुक्त, उपनिषद मंत्रो से पंचामृत स्नान कराया गया। अभिमंहित 108 रजत कुभ और स्वर्ण कुभ से शकराचार्य ने पुरे भारत के विभिन्न नदी, समुद्री से लाये गये जल से अभिषेक या मात को स्वणार्लंकार, श्रीयंत्र आदि अर्जित मे गये दक्षिण भारत से आये हुये विशेष पुष्यों से अभ्यर्चना की गई। तत्पश्चात धूप दीप नैवेध लगाकर माता की महामंगता आरती की शंकराचार्य जी द्वारा रचित अन्नपूर्णा अधक का पाठ किया। फिर आम भक्तों के लिये पट खोल दिया गया।
कुंभाभिषेक कर शंकराचार्य ने कहा जन कल्याण, भारत वर्ष के वैभव सुख समृवि की वृद्धि है। अन्नपूर्णा मंदिर स्वर्ण मंडित शिखर पर शंकराचार्य पहुँचे साथ मे महंत शकरपुरी व श्री महंत सुभाष पूरी थे वही मठ से पीएन मुरली थे। स्वर्ण शिखर का अनेकों कुंड से आये जल को रजत कलश से शंकराचार्यने जलाभिषेक कर पुष्प अर्पित किया फिर फिर आरती उतारी स्वर्ण शिखर को नमन कर सीढ़ियों से उतरने पर मौजूद लोगों को आशीर्वाद देते हुये कहा कि 48 वर्ष पहले उनके परम गुरु परमपूज्य गुरु शंकराचार्य ने त्रिभुवन पूरी जी केसमय मे उनके आग्रह पर मूर्ति प्रतिस्ठा करवाई थीं आज तत्कालीन महंतशंकरपूरी जी के कहने पर यहाँ आना हुआ और कुम्भाभिषेक कार्यक्रम में आकर मूर्ति की प्रतिष्ठा की शारदा पीठाधीश्वर तीर्थ स्वामी महाराज में आज्ञानुसार विजय रथ क्रम में कुभाभिषेक कार्यक्रम को सफल से सम्पादित किया गया। इस बार अति सुन्दर मूर्ति की स्थापना की गई जिसको देखने के बाद हटने का मन नही करता इस कार्यक्रम में सहस्त्रचडी, महारूद्र, चतुर्वेद पारायण, अष्टादश पुराण पाठ, दशमहाविद्या जप पूर भारत से आप दुये 485 वैदिक विद्वानों ने सम्पन्न कराया। काशी और क्षत्ररेरीपीट के सम्बंधों पर प्रकाश डाला। काशी में 48 साल बाद मां अन्नपूर्णा मंदिर का कुंभाभिषेक सम्पन्न हुआ काशी में पहली बार ऐसा हुआ जिसमें चार वेदों, 18 पुराणों के पारायण के साथ पांच अनुष्ठान हो रहे हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इस महानुष्ठान में सात राज्यों से 1100 से अधिक वैदिक विद्वान शामिल रहें सहस्त्रचंडी, कुमकुमार्चन, वेद, पुराण का पाठ हवन रहा।
शाखाओं,18 पुराणों के मूल रूप का पाठ हो रहा है। कोटि सहस्त्रार्चन और 10 महाविद्याओं का जप हो रहा है। उधर, केदारघाट स्थित श्रृंगेरी मठ में महारुद्र यज्ञ भी चल रहा है।
अनुष्ठान के कार्यक्रम मे इनकी रही मौजूदगी: वेद से प्रो पतंजलि मिश्र, पुराण से प्रो माधव जनार्दन रटाटे, सयोजक डा राम नरायण द्विवेदी, रमाशंकर पांडे, प मनीकुमार झा यजूर वेद, श्रीकांत पाठक यजूरवेद अनंत भट्ट ऋग्वेद, बलंदुनाथ मिश्र श्यामवेद, श्रीनिवास पूरनिक जी काणव वेद, प गोपाल रटाटे अथर्व वेद, वही मंदिर से रहें नीलकंठ से आये शिवानंद गिरी, प्रदीप श्रीवास्तव, धीरेन्द्रसिंह, राकेश तोमर समेत मंदिर परिवार रहा।
श्रृंगेरी मठ से मौजूदगी: यज्ञ शुबर्मनियम, पी ए मुरली चल्ला अन्नपूर्णा, प्रसाद चल्ला जगरनाथ प्रसाद चल्ला विद्याशंकर, चल्ला अभिनव चल्ला चिंतामणि गणेश, केवी रमन, आर शिवा अनंत अनिल रहें।