एसबी ब्यूरो प्रमुख/डॉ. संजय
हाजीपुर। वैशाली में ऐतिहासिक अभिषेक पुष्करणी सरोवर एवं पौराणिक मिट्टी स्तूप के निकट 72 एकड़ भूखंड पर भगवान बुद्ध के स्मृति अवशेषों को सुरक्षित एवं आम जनों के दर्शनार्थ बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है।
जिला पदाधिकारी, यशपाल मीणा निर्माण कार्य की प्रगति का निरीक्षण करने वैशाली पहुंचे। वे प्रत्येक बुधवार को बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप के निर्माण कार्य का स्थल निरीक्षण और अनुश्रवण करते हैं। स्तूप का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष को यहां रखा जाएगा जो अभी पटना संग्रहालय में रखा हुआ है। भगवान बुद्ध के 483 ईसा पूर्व में कुशीनगर में महापरिनिर्वाण के बाद वैशाली के लिच्छवी राजाओं को पवित्र अवशेष मिला था। वैशाली के अवशेष स्तूप का निर्माण लिच्छिवियों द्वारा वैशाली में पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में मिट्टी के स्तूप में किया गया था।
केपी जायसवाल शोध संस्थान द्वारा 1958 से 1962 तक की गई पुरातात्विक खुदाई में स्तूप के केंद्र से भगवान बुद्ध का एक पवित्र अवशेष मिला था। इसे 1972 में पटना संग्रहालय लाया गया जहां यह आज भी सुरक्षित है। अब करीब 53 साल बाद भगवान बुद्ध का यह पवित्र अवशेष अपने मूल स्थान वैशाली पहुंचेगा जहां उसे नवनिर्मित बुद्ध स्मृति स्तूप में रखा जाएगा। प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि निर्माण के बाद यहां 2000 लोग एक साथ ध्यान कर सकेंगे। इसमें चार द्वार से प्रवेश होगा। परिसर में म्यूजिकल फाउंटेन लगाए जा रहे हैं। फिनिशिंग को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसे मार्च के अंतिम सप्ताह में पूर्ण हो जाने की संभावना है।
जिला पदाधिकारी, यशपाल मीणा ने कहा कि बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप बन जाने के बाद वैशाली बौद्ध सर्किट और विश्व के पर्यटन मानचित्र पर स्थापित हो जाएगा।
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